View Categories

संवैधानिक निकाय (उड़ान)

10 min read

संवैधानिक निकाय (उड़ान) #

 

संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्य लोक सेवा आयोग

निकाय संघ लोक सेवा आयोग राज्य लोक सेवा आयोग
अनुच्छेद
  • भाग–14, अनुच्छेद315 से 323 तक
  • भाग- 14 , अनुच्छेद 315 से 323 तक
नियुक्ति
  • राष्ट्रपति के द्वारा
  • नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जा सकती है लेकिन सिर्फ राष्ट्रपति के द्वारा ही हटाया जा सकता है।
योग्यता
  • योग्यता का कोई उल्लेख नहीं है, हालांकि आधे सदस्यों को भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्ष काम करने का अनुभव होना चाहिए।
1. योग्यता का कोई उल्लेख नहीं लेकिन आयोग के आधे सदस्यों को भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्ष काम करने का अनुभव होना चाहिए।
सदस्य • संविधान में आयोग के सदस्यों की संख्या का कोई उल्लेख नहीं किया गया है तथा इसे राष्ट्रपति के विवेक पर छोड़ दिया गया है

• अध्यक्ष को मिलाकर 9 से 11 सदस्य होते हैं।

संविधान में सदस्यों की संख्या का कोई उल्लेख नहीं तथा इसे राज्यपाल के विवेक पर छोड़ दिया गया है।
कार्यकाल
  • 6 वर्ष की अवधि तक या 65 वर्ष की आयु तक
  • अध्यक्षभारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी और नियोजन का पात्र नहीं होता।
  • सदस्य- पुनः नियुक्ति के योग्य नहीं (यानी सदस्य के रूप में दूसरे कार्यकाल के योग्य नहीं) या भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन नियोजन का पात्र नहीं होगा लेकिन संघ लोक सेवा आयोग या अन्य राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा
  • 6 वर्ष की अवधि तक या 62 वर्ष की आयु तक
  • अध्यक्ष– पुनः नियुक्ति के योग्य नहीं (यानी दूसरे कार्यकाल के लिए) या भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन नियोजन का पात्र नहीं होगा लेकिन संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा।
  • सदस्य- पुनः नियुक्ति के योग्य नहीं (यानी सदस्य के रूप में दूसरे कार्यकाल के योग्य नहीं) या भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन नियोजन का पात्र नहीं होगा लेकिन संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य तथा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा।

 

वेतनमान
  • भारत की संचित निधि पर भारित
राज्य की संचित निधि पर भारित
त्यागपत्र राष्ट्रपति को 1. राज्यपाल को

निष्कासन प्रक्रिया

  • संविधान में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार उसे राष्ट्रपति के द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में हटाया जा सकता है :
  • अगर उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है, या
  • अपने पद अवधि के दौरान अपने पद के कर्तव्यों के बाहर किसी से वेतन नियोजन में लगा हो; या
  • अगर राष्ट्रपति ऐसा समझता है कि वह मानसिक या शारीरिक असक्षमता के कारण अपने पद पर बने रहने योग्य नहीं है।
  • राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या दूसरे सदस्यों को उनके कदाचार के कारण भी हटा सकता है। हालांकि, ऐसे मामलों में राष्ट्रपति को यह मामला जांच के लिए उच्चतम न्यायालय में भेजना होता है।
  • उच्चतम न्यायालय जांच के बाद राष्ट्रपति को सलाह देता है, उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होता है।
  • उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाने वाली जांच के दौरान राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग और संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व दूसरे सदस्यों को निलंबित कर सकता है।(राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य के मामले में राज्यपाल)।
  • कदाचारके बारे में संविधान कहता है कि, अगर वह (a) भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी संविदा या करार से संबंधित या इच्छुक है (b) निगमित कंपनी के सदस्य और कंपनी के अन्य सदस्यों के साथ सम्मिलित रूप से संविदा या करार में लाभ के लिए भाग लेता है।
विविध संघ लोक सेवा आयोग:

• ‘मेरिट सिस्टम’ का प्रहरी

• दो या अधिक राज्य द्वारा अनुरोध करने पर संघ लोक सेवा आयोग राज्यों को संयुक्त भर्ती की योजना व प्रवर्तन करने में सहायता करता है।

• राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के दायरे से किसी पद, सेवा व विषय को हटा सकता है।

• संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष अपने कामों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।

• अस्वीकृति के सभी मामलों को संघ कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा स्वीकृत कराया जाना चाहिए।

• किसी स्वतंत्र मंत्रालय या विभाग को संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श को खारिज करने का अधिकार नहीं है।

राज्य लोक सेवा आयोग:

• जिला न्यायाधीश के अलावा न्यायिक सेवा में भर्ती से संबंधित नियम बनाने के मसले पर राज्यपाल, राज्य लोक सेवा आयोग से संपर्क करता है।

• राज्यपाल राज्य लोक सेवा आयोग के दायरे से किसी पद, सेवा या विषय को हटा सकता है।

संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग: इसका गठन संसद द्वारा किया गया है। इस तरह यह एक सांविधिक संस्था है + राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्ति + कार्यकाल: 6 वर्ष या 62 वर्ष तक।

 

चुनाव आयोग और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग )

 

निकाय निर्वाचन आयोग नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग)
अनुच्छेद
  • भाग- 15, अनुच्छेद 324
• भाग 5, अनुच्छेद 148 से 151 तक
नियुक्ति
  • राष्ट्रपति के द्वारा
योग्यता 1. संविधान के द्वारा किसी प्रकार की योग्यता निर्धारित नहीं कि गयी है।

सदस्य

सदस्यों की संख्या का उल्लेख नहीं, यह राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है।

• वर्तमान में, 3 सदस्य है।

  • एकल सदस्यीय निकाय

कार्यकाल/वेतनमान

• सेवा की शर्तें व पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है।

• वेतन उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश के समान होता है।

• वर्तमान में 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक पद पर बना रह सकता है।

• संविधान के द्वारा अन्य दूसरे नियुक्तियों पर रोक नहीं लगाई गई है।

  • वेतन, सेवा की शर्तों को संसद के द्वारा निर्धारित किया जाता है।
  • वेतन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान
  • कार्यकाल – 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है।
  • भारत सरकार या किसी राज्य में नियुक्ति के योग्य नहीं
त्यागपत्र
  • राष्ट्रपति को देगा।

निष्कासन प्रक्रिया

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा कैग को अपने निर्धारित पदावधि में काम करने की सुरक्षा है।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उन्हीं आधार पर ही हटाया जा सकता है, जिस आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है। अर्थात उन्हें दुर्व्यवहार या असक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत संकल्प पारित करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
  • वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर नहीं होता है।

विविध

o सदस्यों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है।

o सांसद तथा विधायको की अयोग्यता के मामले में राष्ट्रपति को सलाह देता है।

 

 

—-

 

अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए आयोग

 

निकाय

निम्न के लिए राष्ट्रीय आयोग
अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग

अनुच्छेद

1978 में एक संकल्प के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए एक गैर सांविधिक बहु सदस्यीय आयोग की स्थापना की गई तथा 1990 में, 65वें संविधान संशोधन के माध्यम से आयोग की स्थापना तथा 2003 में, 89वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा अनुसूचित जाति आयोग एवं अनुसूचित जनजाति आयोग को अलग कर दिया गया। मूल रूप से एक सांविधिक निकाय है। इसे 102वें संविधान संशोधन अधिनियम 2018 के तहत संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
  • भाग 16, अनुच्छेद 338
o भाग 16, अनुच्छेद 3368क
  • भाग –16, अनुच्छेद 338ख
नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उसके आदेश या मुहर लगे आदेश द्वारा होता है।
सदस्य
  • एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं तीन अन्य सदस्य जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
कार्यकाल
  • उनकी सेवा शर्तें एवं कार्यकाल राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
  • नियमानुसार, इनका कार्यकाल 3 वर्षों का होता है।

विविध

  • कुछ मामलों में इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
  • आंग्ल भारतीय समुदाय के संबंध में भी समान रूप से कार्य करेगा।
• कुछ मामलों में इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती हैं।

• पेसा अधिनियम, 1996 का पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने संबंधी उपाय करता है।

• जनजातियों द्वारा झूम खेती के प्रचलन को कम करने तथा अंततः समाप्त करने संबंधी उपाय करता है।

• कुछ मामलों में इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती है।

• सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच करने व उनकी स्थिति में सुधार के लिए की जाने वाली कार्रवाई करने के लिए उतरदायी है।

रिपोर्ट • आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है। यदि आवश्यक समझा जाता है तो समय से पहले भी आयोग अपना प्रतिवेदन दे सकता है।

• राष्ट्रपति ऐसी सभी रिपोर्टो को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा तथा अगर कोई ऐसी रिपोर्ट या उसका कोई भाग किसी ऐसे विषय से संबंधित है जिसका किसी राज्य सरकार से संबंध है तो ऐसे रिपोर्ट की एक प्रति उस राज्य के राज्यपाल को भेजी जाएगी जो उसे राज्य के विधान मंडल के समक्ष रखवायेगा।

 

भारत का महान्यायवादी तथा राज्य का अधिवक्ता

 

निकाय भारत का महान्यायवादी राज्य का अधिवक्ता
अनुच्छेद • भाग- 5, अनुच्छेद 76 • भाग-6, अनुच्छेद 165
नियुक्ति o राष्ट्रपति के द्वारा
  • राज्यपाल के द्वारा

योग्यता

  • उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य (यानी कि वह भारत का नागरिक हो, उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करने का 5 वर्षों का अनुभव या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्ष का अनुभव हो) या राष्ट्रपति के मतानुसार वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।
  • उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के योग्य हो(यानी कि वह भारत का नागरिक तथा उसे 10 वर्ष तक न्यायिक अधिकारी का या उच्च न्यायालय में 10 वर्षों तक वकालत करने का अनुभव हो) या राष्ट्रपति के मतानुसार न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।

कार्यकाल

  • संविधान द्वारा निश्चित नहीं किया गया है| (सामान्यतः मंत्री परिषद के संसद में विश्वास मत हासिल रहने तक)
  • संविधान द्वारा महाधिवक्ता के कार्यकाल को निश्चित नहीं किया गया है|(सामान्यतः यह तब तक होता है जब तक विधायिका में मंत्रिपरिषद को विश्वास मत हासिल रहता है)
वेतन
  • संविधान में महाधिवक्ता के वेतन-भत्ते को निश्चित नहीं किया गया है। इसका निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
• निश्चित नहीं, इसका निर्धारण राज्यपाल के द्वारा किया जाता है।

 

इस्तीफा 1. राष्ट्रपति को राज्यपाल को

निष्कासन प्रक्रिया

• संविधान में इसके हटाने की व्यवस्था तथा आधार का कोई वर्णन नहीं किया गया है।

• वह अपने पद पर राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत बना रहता है।

· संविधान में इसे हटाने की व्यवस्था तथा आधार का कोई वर्णन नहीं किया गया है

· वह अपने पद पर राज्यपाल के प्रसादपर्यंत बना रहता है।

विविध

  • देश का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है।
  • महान्यायवादी सरकार का पूर्णकालिक वकील नहीं है। वह एक सरकारी कर्मी की श्रेणी में नहीं आता इसलिए उसे निजी विधिक कार्यवाही से रोका नहीं जा सकता
  • भारत के किसी भी क्षेत्र में किसी भी अदालत में महान्यायवादी को सुनवाई का अधिकार है।
  • उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने या कार्यवाही में भाग लेने या दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में मताधिकार के बगैर भाग लेने का अधिकार है।
  • एक संसद सदस्य की तरह उसे सभी भत्ते एवं विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं।

 

• राज्य का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है।

राज्य के किसी भी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार होता है।

• विधानमंडल के दोनों सदनों या संबंधित समिति अथवा उस सभा में, जहां के लिए अधिकृत है, में बिना मताधिकार के बोलने व भाग लेने का अधिकार होता है।

• उसे वे सभी विशेषाधिकार एवं भत्ते मिलते हैं, जो विधानमंडल के किसी सदस्य को मिलते हैं।

 

जी.एस.टी. परिषद, वित्त आयोग तथा भाषायी अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी

 

निकाय जी.एस.टी. परिषद वित्त आयोग भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी
अनुच्छेद
  • भाग- 12, अनुच्छेद 279 क
1.भाग-12, अनुच्छेद 280
  • भाग–17 , अनुच्छेद- 350 ख
नियुक्ति राष्ट्रपति के आदेश पर गठन राष्ट्रपति के आदेश पर गठन

 

राष्ट्रपति के द्वारा
संरचना
  • वित्त मंत्री तथा वित्त राज्यमंत्री
1.1 अध्यक्ष + 4 अन्य सदस्य
  • संविधान में योग्यता, कार्यकाल, वेतन, भत्ते, सेवा शर्तों तथा हटाने की कार्यवाही के आधार का वर्णन नहीं किया गया है।
योग्यता —- संसद के द्वारा निर्धारण
कार्यकाल —- o नियमानुसार 3 वर्ष

विविध

o कोरम – कुल सदस्यों का आधा|

o उपस्थित तथा वोट में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के तीन चौथाई बहुमत के द्वारा निर्णय लिया जाता है।

o कुल दिए गए मत का केंद्र- 1/3 और राज्य- 2/3|

• सिफारिशों की प्रकृति सलाहकारी होती है।

• यहां संघीय राजकोष के संतुलन में भूमिका निभाता है।

 

 

 

—-

Know about Physics Wallah

Physics Wallah is an Indian online education platform, that provides accessible & comprehensive learning experiences to students of classes 6 to 12 and those preparing for JEE and NEET exams. We also provide extensive NCERT solutions, sample papers, NEET, JEE Mains, BITSAT previous year papers, which makes us a one-stop solution for all resources. Physics Wallah also caters to over 3.5 million registered students and over 78 lakh+ Youtube subscribers with 4.8 rating on its app.

We Stand Out because

We successfully provide students with intensive courses by India's qualified & experienced faculties. PW strives to make the learning experience comprehensive and accessible for students of all sections of society. We believe in empowering every single student who couldn't dream of a good career in engineering and medical field earlier.

Our Key Focus Areas

Physics Wallah’s main focus is to create accessible learning experiences for students all over India. With courses like Lakshya, Udaan, Arjuna & many others, we have been able to provide a ready solution for lakhs of aspirants. From providing Chemistry, Maths, Physics formulae to giving e-books of eminent authors, PW aims to provide reliable solutions for student prep.

What Makes Us Different

Physics Wallah strives to develop a comprehensive pedagogical structure for students, where they get a state-of-the-art learning experience with study material and resources. Apart from catering students preparing for JEE Mains and NEET, PW also provides study material for each state board like Uttar Pradesh, Bihar, and others.

Aiming for UPSC?

Download Our App

# #
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.