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संविधान का निर्माण (उड़ान)

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संविधान का निर्माण (उड़ान) #

संविधान सभा की मांग
  • 1924 →संविधान सभा का विचार पहली बार स्वराज पार्टी द्वारा दिया गया था।
  • 1934 →संविधान सभा के गठन का विचार एम.एन.रॉय द्वारा रखा गया था।
  • 1935 →भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा पहली बार भारत के संविधान के निर्माण हेतु आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की माँग की गयी।
  • 1940 →इस माँग को अंततः ब्रिटिश सरकार ने सैद्धान्तिक रूप से स्वीकार कर लिया। इसे ‘अगस्त प्रस्ताव’ (August Offer)के नाम से जाना जाता है।
  • 1942 →क्रिप्स के संविधान के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।
  • 1946 → ‘कैबिनेट मिशन योजना’ (Cabinet Mission Plan-CMP) को सभी दलों द्वारा स्वीकार किया गया। इसके सदस्य लॉर्ड पैट्रिक लॉरेंस, सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स और ए. वी. एलेक्जेंडर थे। कैबिनेट मिशन ने द्वि-राष्ट्र एवं दो संविधान सभा की माँग को अस्वीकार कर दिया।

 

संविधान सभा का गठन
  • कैबिनेट मिशन योजना के आधार पर नवंबर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ।
  • सीटों का बँटवारा जनसंख्या के आधार पर किया गया।
  • ब्रिटिश प्रान्तों से संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली एवं एकल संक्रमणीय मत पद्धति के आधार पर हुआ।
  • संविधान सभा का गठन अंशतः निर्वाचित(ब्रिटिश प्रान्तों) एवं नामित सदस्यों(रियासतों के प्रमुखों द्वारा) द्वारा किया गया था।
  • ब्रिटिश प्रान्तों से संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन वहाँ की विधायिका से हुआ था।
  • महात्मा गाँधी संविधान सभा का हिस्सा नहीं थे।
  • देशी रियासतों को आवंटित 93 सीटें नहीं भर पायीं थीं, क्योंकि उन्होंने संविधान सभा से अलग रहने का फैसला किया था।

संविधान सभा की कार्यवाही
  • 9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक आयोजित हुई (मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया) ।
  • वरिष्ठतम सदस्य डॉ. सचिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया। अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति फ्रेंच परम्परा के अनुसार की गई थी।
  • बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुना गया।
  • उपाध्यक्ष (दो)→ एच.सी. मुखर्जी और वी.टी. कृष्णामाचारी।

 

उद्देश्य प्रस्ताव
  • जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा के ऐतिहासिक प्रस्ताव को प्रस्तुत किया था।
  • इसमें संवैधानिक संरचना के मूल तत्व और दर्शन निहित थे।
  • इस प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा द्वारा स्वीकार किया गया था।
  • वर्तमान में भारतीय संविधान की उद्देशिका(Preamble), इसी उद्देश्य प्रस्ताव का संशोधित रूप है।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के अनुसार परिवर्तन
  • देशी रियासतों और बचे हुए मुस्लिम लीग (इंडियन डोमिनियन से) के सदस्य धीरे-धीरे संविधान सभा से जुड़ने लगे।
  • 3 जून, 1947 को माउंटबेटन योजना (Mountbatten plan) को स्वीकृति मिली (यह योजना भारत के विभाजन हेतु थी) ।
  • भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने संविधान सभा की स्थिति में दो बदलाव किए –
  1. संविधान सभा एक संप्रभु संस्था बन गयी, जो स्वेच्छा से संविधान का निर्माण कर सकती थी।
  2. संविधान सभा को दो प्रकार का कार्यों सौंपा गया (दोनों कार्यों को अलग-अलग रूप से करना था) → भारत के लिए आम कानून का निर्माण व उन्हें लागू करना (जी.वी. मावलंकर की अध्यक्षता में) और स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का निर्माण करना (डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में); ये 26 नवंबर, 1949 तक जारी रहे।
  • संविधान सभा से मुस्लिम लीग के सदस्य अलग हो गए थे। इसलिए संविधान सभा की सदस्य संख्या 389 से घटकर 299 रह गयी।

संविधान सभा के अन्य कार्य
  • मई, 1949 → राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता की पुष्टि।
  • 22 जुलाई, 1947 → राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया।
  • 24 जनवरी, 1950 → राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान को अपनाया गया।
  • 24 जनवरी, 1950 → डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।
  • 24 जनवरी, 1950 → संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई। हालांकि इस संविधान सभा ने ही यह 26 जनवरी,1950 से लेकर आम चुनावों के बाद नयी संसद के गठन(मई, 1952) तक अन्तरिम संसद के रूप में कार्य किया।
  • कुल सत्र – 11
  • कुल समय – 2 वर्ष, 11 महीने, 18 दिन

मुख्य समितियाँ
  • संघ शक्ति समिति / संघ संविधान समिति / राज्य समिति (राज्यों से समझौते हेतु) →जवाहरलाल नेहरू
  • प्रक्रिया नियम समिति / संचालन समिति → डॉ. राजेंद्र प्रसाद
  • प्रांतीय संविधान समिति → सरदार पटेल
  • प्रारूप समिति → डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
  • मूल अधिकारों, अल्पसंख्यकों और जनजातियों और बहिष्कृत क्षेत्रों हेतु परामर्शी समिति → सरदार पटेल
  • संविधान सभा की सभी समितियों में प्रारूप समिति सबसे महत्वपूर्ण थी। इसका गठन 29 अगस्त, 1947 को किया गया था। इसमें 7 सदस्य शामिल थे।

 

संविधान का प्रभाव में आना (ENACTMENT OF THE CONSTITUTION)
  • संविधान के प्रारूप के प्रत्येक प्रावधान(clause by clause) पर चर्चा के बाद इसे 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया। उस समय इसमें उद्देशिका, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां शामिल थीं।
  • संविधान के पूर्ण रूप से अधिनियमित होने के बाद उसके उद्देशिका को लागू किया गया था।

 

संविधान का प्रवर्तन (ENFORCEMENT OF THE CONSTITUTION)
  • संविधान के कुछ प्रावधान 26 नवंबर, 1949 को स्वतः ही लागू हो गए थे। नागरिकता, चुनाव, तदर्थ संसद, अस्थायी और परिवर्तनशील नियम और छोटे शीर्षकों से जुड़े कुछ प्रावधान (अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392 और 393 )।
  • संविधान के शेष प्रावधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुए थे क्योंकि 26 जनवरी, 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था। इस दिन को संविधान के शुरुआत के दिन तथा गणतन्त्र दिवस के रूप में देखा जाता है।
  • संविधान के लागू होने के बाद भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और भारत सरकार अधिनियम, 1935ई. निरस्त हो गए। हालाँकि एबोलिशन आफ प्रिवी काउंसिल ज्यूरिडिक्सन एक्ट,1949 (Abolition of Privy Council Jurisdiction Act ,1949) लागू रहा।

 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
  • संविधान सभा का चिन्ह → हाथी।
  • सर वी.एन. राव → संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार थे।
  • एच. वी. आर. अयंगर → संविधान सभा के सचिव थे।
  • एस. एन. मुखर्जी → संविधान सभा के मुख्य प्रारूपकार (ड्राफ्ट्समैन) थे।
  • प्रेम बिहारी रायज़ादा→ संविधान के सुलेखक(calligrapher) थे।
  • नंद लाल बोस और बी. आर. सिन्हा → संविधान के मूल संस्करण का सौंदर्यीकरण व सजावट।
  • वसंत कृष्ण वैद्य→ संविधान के मूल संस्करण का हिंदी सुलेखन किया।
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