| अंतर्राज्यीय संबंध (उड़ान) | 
- अंतर्राज्यीय जल विवाद (अनुच्छेद 262)
- अंतर्राज्यीय परिषदें (अनुच्छेद 263)
- सार्वजनिक अधिनियम, दस्तावेज़ और न्यायिक प्रक्रियाएं
- अंतर्राज्यीय व्यापार और वाणिज्य (अनुच्छेद 301 से 307)
- राज्यों पुनर्गठन अधिनियम,1956 के तहत क्षेत्रीय परिषदें
| अंतर्राज्यीय जल विवाद (अनुच्छेद 262) | 
| अनुच्छेद 262 | ·         अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के जल का प्रयोग,बँटवारे तथा नियंत्रण से संबन्धित किसी विवाद पर संसद कानून बनाकर निर्णय कर सकती है। · संसद द्वारा यह भी व्यवस्था की जा सकती है कि अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के जल प्रयोग,बँटवारे तथा नियंत्रण से संबन्धित किसी विवाद में न ही उच्चतम न्यायालय और न ही कोई अन्य न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग करे। | 
| अनुच्छेद 262 (अंतर्राज्यीय जल विवादों का न्यायनिर्णयन) के अंतर्गत संसद ने दो कानून बनाए हैं- | 
| नदी बोर्ड अधिनियम 1956: | इसके तहत अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के नियंत्रण तथा विकास हेतु नदी जल बोर्डों का गठन किया जाता है + नदी बोर्ड का गठन संबन्धित राज्यों के आग्रह पर केंद्र सरकार द्वारा उन्हें सलाह देने हेतु किया जाता है। | 
| अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम 1956: 
 | संघ या केंद्र सरकार को अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के जल प्रयोग,बँटवारे तथा नियंत्रण के संबंध में दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य विवाद के न्यायनिर्णयन के लिए एक अस्थाई अधिकरण के गठन की शक्ति प्रदान करता है+ अधिकरण के निर्णय बाध्यकारी हैं + कोई न्यायालय ऐसे विवादों पर अधिकार क्षेत्र नहीं रखता है| 
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| अब तक स्थापित ट्रिब्यूनल: | 
| नाम | वर्ष | संबद्ध राज्य | 
| कृष्णा जल विवाद | 1969 | महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश | 
| गोदावरी जल विवाद | 1969 | मध्य प्रदेश,ओडिशा,आंध्र प्रदेश,कर्नाटक और महाराष्ट्र | 
| नर्मदा जल विवाद | 1969 | राजस्थान,गुजरात,मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र | 
| रावी और व्यास जल विवाद | 1986 | पंजाब,हरियाणा और राजस्थान | 
| कावेरी जल विवाद | 1990 | कर्नाटक,केरल,तमिलनाडु और पुद्दुचेरी | 
| द्वतीय कृष्णा जल विवाद | 2004 | महाराष्ट्र,कर्नाटक और आंध्रा प्रदेश | 
| वंशधारा जल विवाद | 2010 | ओडिशा और आंध्र प्रदेश | 
| महादाई जल विवाद | 2010 | गोवा,कर्नाटक और महाराष्ट्र | 
| अंतर्राज्यीय परिषदें (अनुच्छेद 263) | 
| उद्देश्य | 
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| स्थिति | 
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| गठन | • सरकारिया आयोग (अंतर्राज्यीय संबंध पर) की सिफारिशों के अनुसार, 1990 में पहली बार राष्ट्रपति के आदेश के तहत गृह मंत्रालय के अंतर्गत अंतर्राज्यीय परिषद का गठन हुआ। | 
| राष्ट्रपति की भूमिका | 
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| कार्य | 
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| निर्णय | 
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 संरचना | 
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| मीटिंग | परिषद एक वर्ष में कम से कम तीन बार मिल सकती है। समाधान पर विचार सर्वसम्मति से तय किए जाते हैं। | 
| परिषद की स्थायी समिति | 
- 1996 में स्थापित+ परिषद के विचारार्थ मामलों पर सतत चर्चा हेतु।
- समिति के सदस्य: केंद्रीय गृह मंत्री अध्यक्ष के रूप में + पांच केंद्रीय कैबिनेट मंत्री + नौ मुख्यमंत्री।
- इसे अंतर्राज्यीय परिषद सचिवालय द्वारा सहायता प्रदान की जाती है: 1991 में स्थापित + भारत सरकार का एक सचिव इसका प्रधान होता है।
| अंतर्राज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य | 
| अनुच्छेद | विवरण | 
| 301 | 
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| 302 | Provides for restrictions: 
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| 303 | 
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| 304 | 
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| 305 | 
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- सार्वजनिक अधिनियम, दस्तावेज़ और न्यायिक प्रक्रियाएं
| सार्वजनिक अधिनियम,दस्तावेज़ और न्यायिक प्रक्रियाएँ (अनुच्छेद 261) | 
- पूरे देश में केंद्र और राज्यों के सार्वजनिक अधिनियम, दस्तावेज़ और न्यायिक कार्यवाहियों को पूर्ण विश्वास व साख प्रदान की गई है।
- संसद द्वारा ऐसे अधिनियम, रिकार्ड तथा कार्यवाहियों तथा उनके प्रभाव का निर्धारण कानून बनाकर किया जाएगा।
- भारत के किसी भी हिस्से में सिविल(दीवानी) अदालतों के अंतिम निर्णय और आदेश प्रभावी होंगे। यह नियम सिविल निर्णयों पर लागू होता है न कि आपराधिक(फ़ौजदारी) निर्णयों पर।
| क्षेत्रीय परिषदें | 
- सांविधिक (ना कि सांविधानिक) निकाय + राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 (7 वें सीएए 1956) के तहत स्थापित।
- क्षेत्रीय परिषदें केवल चर्चात्मक तथा परामर्शदात्री निकाय हैं, इनकी; सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं।
- क्षेत्रीय परिषद को वर्ष में कम से कम दो बार मिलना चाहिए।
- क्षेत्रीय परिषद के सदस्य: केंद्र सरकार का गृहमंत्री+ मुख्यमंत्री + क्षेत्र के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री + क्षेत्र के प्रत्येक राज्य से दो अन्य मंत्री + क्षेत्र के सभी केंद्र शासित राज्यों के प्रशासक।
| पूर्वोत्तर परिषद | 
- संसदीय आदिनियम के तहत गठित एक क्षेत्रीय परिषद: पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1971
- सदस्य: सभी उत्तर-पूर्वी राज्य।
- गठन:
- पदेन अध्यक्ष – केंद्रीय गृह मंत्री
- उपाध्यक्ष – राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय।
- सदस्य – सभी आठ राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा नामित 3 सदस्य।
- सिक्किम को 2002 में पूर्वोत्तर परिषद के आठवें सदस्य के रूप में जोड़ा गया था।

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