View Categories

अंतर्राज्यीय संबंध (उड़ान)

5 min read

अंतर्राज्यीय संबंध (उड़ान)

  • अंतर्राज्यीय जल विवाद (अनुच्छेद 262)
  • अंतर्राज्यीय परिषदें (अनुच्छेद 263)
  • सार्वजनिक अधिनियम, दस्तावेज़ और न्यायिक प्रक्रियाएं
  • अंतर्राज्यीय व्यापार और वाणिज्य (अनुच्छेद 301 से 307)
  • राज्यों पुनर्गठन अधिनियम,1956 के तहत क्षेत्रीय परिषदें

 

अंतर्राज्यीय जल विवाद (अनुच्छेद 262)

अनुच्छेद 262

· अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के जल का प्रयोग,बँटवारे तथा नियंत्रण से संबन्धित किसी विवाद पर संसद कानून बनाकर निर्णय कर सकती है।

· संसद द्वारा यह भी व्यवस्था की जा सकती है कि अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के जल प्रयोग,बँटवारे तथा नियंत्रण से संबन्धित किसी विवाद में न ही उच्चतम न्यायालय और न ही कोई अन्य न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग करे।

अनुच्छेद 262 (अंतर्राज्यीय जल विवादों का न्यायनिर्णयन) के अंतर्गत संसद ने दो कानून बनाए हैं-

नदी बोर्ड अधिनियम 1956: इसके तहत अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के नियंत्रण तथा विकास हेतु नदी जल बोर्डों का गठन किया जाता है + नदी बोर्ड का गठन संबन्धित राज्यों के आग्रह पर केंद्र सरकार द्वारा उन्हें सलाह देने हेतु किया जाता है।
अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम 1956:

संघ या केंद्र सरकार को अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के जल प्रयोग,बँटवारे तथा नियंत्रण के संबंध में दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य विवाद के न्यायनिर्णयन के लिए एक अस्थाई अधिकरण के गठन की शक्ति प्रदान करता है+ अधिकरण के निर्णय बाध्यकारी हैं + कोई न्यायालय ऐसे विवादों पर अधिकार क्षेत्र नहीं रखता है|

अब तक स्थापित ट्रिब्यूनल:

नाम वर्ष संबद्ध राज्य
कृष्णा जल विवाद 1969 महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश
गोदावरी जल विवाद 1969 मध्य प्रदेश,ओडिशा,आंध्र प्रदेश,कर्नाटक और महाराष्ट्र
नर्मदा जल विवाद 1969 राजस्थान,गुजरात,मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र
रावी और व्यास जल विवाद 1986 पंजाब,हरियाणा और राजस्थान
कावेरी जल विवाद 1990 कर्नाटक,केरल,तमिलनाडु और पुद्दुचेरी
द्वतीय कृष्णा जल विवाद 2004 महाराष्ट्र,कर्नाटक और आंध्रा प्रदेश
वंशधारा जल विवाद 2010 ओडिशा और आंध्र प्रदेश
महादाई जल विवाद 2010 गोवा,कर्नाटक और महाराष्ट्र

अंतर्राज्यीय परिषदें (अनुच्छेद 263)
उद्देश्य
  • राज्यों और केंद्र के बीच तथा विभिन्न राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करनाI
स्थिति
  • अनुच्छेद 263 के तहत संवैधानिक निकाय।

गठन

• सरकारिया आयोग (अंतर्राज्यीय संबंध पर) की सिफारिशों के अनुसार, 1990 में पहली बार राष्ट्रपति के आदेश के तहत गृह मंत्रालय के अंतर्गत अंतर्राज्यीय परिषद का गठन हुआ।
राष्ट्रपति की भूमिका
  • राष्ट्रपति ऐसी परिषद का गठन कर सकता है।
  • राष्ट्रपति अंतर्राज्यीय परिषद के कर्तव्यों, संगठन और प्रक्रिया को निर्धारित कर सकता है।
कार्य
  • अंतर्राज्यीय विवादों की जांच करना और इन पर सलाह देना (अनुच्छेद 131 के तहत उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का संपूरक) + उन विषयों की जांच करना और उन पर चर्चा करना जिसमें राज्यों या केंद्र और राज्यों का एक समान हित है + नीति और इसके क्रियान्वयन के बेहतर समन्वय हेतु संस्तुति करना।
निर्णय
  • निर्णय बाध्यकारी नहीं है+ विशुद्ध रूप से सलाहकार निकाय।

संरचना

  • प्रधानमंत्री अध्यक्ष के रूप में + सभी राज्यों के मुख्यमंत्री + विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री+ सभी केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक ( जहाँ विधानसभाएं नहीं हैं) + राष्ट्रपति शासन वाले राज्यों के राज्यपाल + प्रधानमंत्री द्वारा नामित छह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री (गृह मंत्री सहित) + प्रधानमंत्री द्वारा नामित पांच कैबिनेट मंत्री / राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अंतर्राज्यीय परिषद के स्थायी आमंत्रित सदस्य होते हैं।
मीटिंग परिषद एक वर्ष में कम से कम तीन बार मिल सकती है। समाधान पर विचार सर्वसम्मति से तय किए जाते हैं।

परिषद की स्थायी समिति
  • 1996 में स्थापित+ परिषद के विचारार्थ मामलों पर सतत चर्चा हेतु।
  • समिति के सदस्य: केंद्रीय गृह मंत्री अध्यक्ष के रूप में + पांच केंद्रीय कैबिनेट मंत्री + नौ मुख्यमंत्री।
  • इसे अंतर्राज्यीय परिषद सचिवालय द्वारा सहायता प्रदान की जाती है: 1991 में स्थापित + भारत सरकार का एक सचिव इसका प्रधान होता है।

अंतर्राज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य
अनुच्छेद विवरण
301
  • व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतन्त्रता।
  • भारत के राज्यक्षेत्र में व्यापार वाणिज्य और समागम(intercourse) अबाध होगा।

302

Provides for restrictions:

  • संसद सार्वजनिक हित में उपरोक्त स्वतंत्रता पर निर्बंधन लगा सकती है।
  • संसद भारत के किसी भी भाग में वस्तुओं की कमी के मामले को छोड़कर राज्यों के बीच भेदभाव नहीं कर सकती है।
303
  • राज्य विधानसभाएँ उस राज्य के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतन्त्रता पर सार्वजनिक हित में प्रतिबंध लगा सकती हैं।
  • ऐसे विधेयक के लिए राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी आवश्यक है।
  • राज्य विधायिका राज्यों के बीच भेदभाव नहीं कर सकती है।
304
  • किसी राज्य की विधायिका दूसरे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से आयातित उन वस्तुओं पर टैक्स लगा सकती है जिनका उस संबन्धित राज्य में उत्पादन होता हो।
305
  • स्वतंत्रता राष्ट्रीयकृत कानूनों के अधीन है। वे कानून जो केंद्र या राज्यों के पक्ष में एकाधिकार हेतु पूर्वनिर्दिष्ट हैं।
  • इस तरह के कानून नागरिकों या अन्य को पूरी तरह से या आंशिक रूप से ऐसे व्यापार को करने से बाहर कर सकते हैं।

  • सार्वजनिक अधिनियम, दस्तावेज़ और न्यायिक प्रक्रियाएं
सार्वजनिक अधिनियम,दस्तावेज़ और न्यायिक प्रक्रियाएँ (अनुच्छेद 261)
  • पूरे देश में केंद्र और राज्यों के सार्वजनिक अधिनियम, दस्तावेज़ और न्यायिक कार्यवाहियों को पूर्ण विश्वास व साख प्रदान की गई है।
  • संसद द्वारा ऐसे अधिनियम, रिकार्ड तथा कार्यवाहियों तथा उनके प्रभाव का निर्धारण कानून बनाकर किया जाएगा।
  • भारत के किसी भी हिस्से में सिविल(दीवानी) अदालतों के अंतिम निर्णय और आदेश प्रभावी होंगे। यह नियम सिविल निर्णयों पर लागू होता है न कि आपराधिक(फ़ौजदारी) निर्णयों पर।

क्षेत्रीय परिषदें
  • सांविधिक (ना कि सांविधानिक) निकाय + राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 (7 वें सीएए 1956) के तहत स्थापित।
  • क्षेत्रीय परिषदें केवल चर्चात्मक तथा परामर्शदात्री निकाय हैं, इनकी; सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं।
  • क्षेत्रीय परिषद को वर्ष में कम से कम दो बार मिलना चाहिए।
  • क्षेत्रीय परिषद के सदस्य: केंद्र सरकार का गृहमंत्री+ मुख्यमंत्री + क्षेत्र के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री + क्षेत्र के प्रत्येक राज्य से दो अन्य मंत्री + क्षेत्र के सभी केंद्र शासित राज्यों के प्रशासक।

पूर्वोत्तर परिषद
  • संसदीय आदिनियम के तहत गठित एक क्षेत्रीय परिषद: पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1971
  • सदस्य: सभी उत्तर-पूर्वी राज्य।
  • गठन:
  • पदेन अध्यक्ष – केंद्रीय गृह मंत्री
  • उपाध्यक्ष – राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय।
  • सदस्य सभी आठ राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा नामित 3 सदस्य।
  • सिक्किम को 2002 में पूर्वोत्तर परिषद के आठवें सदस्य के रूप में जोड़ा गया था।

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.