View Categories

गैर- संवैधानिक निकाय (उड़ान)

7 min read

गैरसंवैधानिक निकाय (उड़ान)

 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा राज्य मानवाधिकार आयोग

 

निकाय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राज्य मानवाधिकार आयोग
स्थापना
  • इसका गठन संसद में पारित अधिनियम(मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम,1993)द्वारा किया गया है।
  • यह एक सांविधिक निकाय है।
संरचना
  • बहु-सदस्यीय संस्था
  • अध्यक्ष + 5 सदस्य
  • बहु-सदस्यीय संस्था
  • अध्यक्ष + 2 सदस्य

योग्यता

  • अध्यक्ष – उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
  • सदस्य

o उच्चतम न्यायालय में कार्यरत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश;

o उच्च न्यायालय का कार्यरत या सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश

o 3 अन्य को (कम से कम एक महिला सदस्य)मानवाधिकार से संबंधित जानकारी अथवा कार्यानुभव होना चाहिए।

  • अन्य पदेन सदस्यों में- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग व राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष होते हैं।
  • अध्यक्ष – उच्च न्यायालय के वर्तमान अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश
  • सदस्य-

• उच्च न्यायालय के वर्तमान अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश या राज्य के जिला न्यायालय के कोई न्यायाधीश, जिसे सात वर्ष का अनुभव हो;

• कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मानवाधिकारों के बारे में विशेष अनुभव हो।

नियुक्ति

  • राष्ट्रपति के द्वारा।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग चयन समिति (6 सदस्य): प्रधानमंत्री + अध्यक्ष (लोक सभा) + उपसभापति (राज्य सभा) + विपक्ष के नेता (लोक सभा तथा राज्य सभा दोनों से) + केंद्रीय गृह मंत्री
  • राज्यपाल के द्वारा।
  • राज्य लोक सेवा आयोग चयन समिति: (6 सदस्य) मुख्यमंत्री + विधान सभा का अध्यक्ष + विपक्ष का नेता (विधान सभा तथा विधान परिषद) + राज्य का गृह मंत्री।
कार्यकाल
  • 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक
  • पुनः नियुक्ति के योग्य होते हैं लेकिन वे केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों में किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।
वेतन
  • केंद्र/राज्य सरकार द्वारा निर्धारित होता है।
  • नियुक्ति के पश्चात अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
इस्तीफा
  • राष्ट्रपति को
  • राज्यपाल को

निष्कासन प्रक्रिया

  • उसे राष्ट्रपति के द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में हटाया जा सकता है:

• यदि वह दिवालिया हो जाए; या

• यदि वह अपने कार्यकाल के दौरान अपने कार्य क्षेत्र से बाहर से किसी प्रदत रोजगार में संलिप्त होता है; या

• यदि वह मानसिक व शारीरिक कारणों से कार्य करने में असमर्थ हों; या

• यदि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो तथा सक्षम न्यायालय ऐसी घोषणा करें; या

• यदि वह न्यायालय द्वारा किसी अपराध का दोषी व सजा प्राप्त किया हो।

  • संघ लोक सेवा आयोग की ही तरह, राष्ट्रपति अध्यक्ष तथा किसी भी सदस्य को उसके दुराचरण या अक्षमता के कारण पद से हटा सकता है। हालांकि, इस स्थिति में राष्ट्रपति इस विषय को उच्चतम न्यायालय में जांच के लिए सौंपेंगा। यदि जांच के उपरांत उच्चतम न्यायालय इन आरोपों को सही पाता है तो उसकी सलाह पर राष्ट्रपति इन सदस्यों व अध्यक्ष को उनके पद से हटा सकता है।

विविध

  • आयोग की अपनी कार्यप्रणाली होती है तथा वह अपने कार्य को करने के लिए अधिकृत होता है। आयोग के पास सिविल न्यायालय जैसी सभी अधिकार व शक्तियां होती हैं तथा इसका चरित्र एवं कार्यवाहियां भी न्यायिक होती है।
  • स्वयं का जांच दल + केंद्र अथवा राज्य सरकारों की जांच एजेंसियों से मदद लेता है।
  • आयोग ऐसे किसी मामले की जांच के लिए अधिकृत नहीं है जिसे घटित हुए 1 वर्ष से अधिक हो गया हो।
  • आयोग का कार्य वस्तुतः सिफारिश या सलाहकार का होता है(बाध्यकारी नहीं) आयोग मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी को दंड देने का अधिकार नहीं रखता है, न ही आयोग पीड़ित को किसी प्रकार की सहायता, जैसे आर्थिक सहायता दे सकता है।
  • सशस्त्र बल के सदस्य द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में आयोग की भूमिका, शक्तियां व न्यायिकता सीमित होती है।
  • राष्ट्रीय/राज्य मानवाधिकार आयोग की सभी वित्तीय शक्तियों का प्रयोग अध्यक्ष के द्वारा किया जाता है, तथा यह उसके अधीन होता है
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) – अपनी वार्षिक अथवा विशेष रिपोर्ट केंद्र सरकार व संबंधित राज्य सरकारों को भेजता है (राज्य मानवाधिकार आयोग सिर्फ राज्य सरकार को)।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग– सातवीं अनुसूची के समवर्ती सूची तथा राज्य सूची के अंतर्गत आने वाले विषयों की ही जांच कर सकता है ।
  • केंद्र सरकार संघ शासित प्रदेशों द्वारा मानव अधिकारों से संबंधित कार्यों को राज्य मानवाधिकार आयोग को प्रदान कर सकती है, संघ शासित प्रदेश दिल्ली को छोड़कर, यह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अंतर्गत आती है।

 

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो
  • भ्रष्टाचार पर बनी संथानम समिति की सिफारिशों के आधार पर एक संकल्प के साथ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो का गठन किया गया है। इसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से शक्ति मिलती है।
  • यह कोई वैधानिक संस्था नहीं है। यह कार्मिक मंत्रालय के अंतर्गत आती है तथा उसकी स्थिति एक संबंध कार्यालय के रूप में है।
  • संरचना: सी.बी.आई. का प्रमुख निदेशक होता है। केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम,2003 के द्वारा सी.बी.आई. निदेशक को दो वर्षों की कार्य अवधि की सुरक्षा मिलती है। इसके अतिरिक्त, अनेक संयुक्त निदेशक, उप-महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस कार्मिकों के अन्य रैंक होते हैं।
  • निदेशक की नियुक्ति: प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक 3 सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर किया जाता है।
  • इस समिति में प्रधानमंत्री अध्यक्ष के रूप में जबकि अन्य सदस्यों के रूप में लोक सभा के विपक्ष का नेता तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का कोई न्यायाधीश होता है।
  • सीबीआई के द्वारा भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध तथा वैसे संगठित अपराध जो आतंकवाद की श्रेणी में नहीं आते हैं, की जांच की जाती है। जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी के द्वारा आतंकवाद संबंधित अपराध जैसे आतंकवादी हमलों, आतंकवाद का वित्त पोषण आदि की जांच की जाती है। सीबीआई के द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग तथा लोकपाल को भी सहयोग प्रदान किया जाता है।
  • सीबीआई भारत में इंटरपोल के “नेशनल सेंट्रल ब्यूरो” के रूप में भी कार्य करती है।

 

केंद्रीय एवं राज्य सूचना आयोग तथा केंद्रीय सतर्कता आयोग

 

निकाय केंद्रीय/राज्य सूचना आयोग केंद्रीय सतर्कता आयोग

गठन

  • संसद में पारित एक अधिनियम के अंतर्गत इसका गठन किया गया था(सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005)।
  • सांविधिक निकाय
  • संसद में पारित एक अधिनियम के द्वारा (केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003)।
  • सांविधिक निकाय

संरचना

1. बहु सदस्यीय संस्था

2. एक मुख्य आयुक्त एवं सूचना आयुक्त (जिनकी संख्या 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए)।

3. केंद्रीय सूचना आयोग वर्तमान में अध्यक्ष + 6 अन्य सूचना आयुक्त

4. बहु सदस्यीय संस्था

5. केंद्रीय सतर्कता आयुक्त एवं अन्य सतर्कता आयुक्त (2 से अधिक नहीं)।

नियुक्ति
  • राष्ट्रपति/राज्यपाल के द्वारा
  • केंद्रीय सूचना आयोग चयन समिति (3 सदस्य) प्रधानमंत्री, लोकसभा के विपक्ष का नेता तथा प्रधानमंत्री के द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री।
  • राज्य सूचना आयोग चयन समिति (3 सदस्य): मुख्यमंत्री, विधानसभा के विपक्ष का नेता तथा मुख्यमंत्री के द्वारा नामित राज्य का एक कैबिनेट मंत्री
  • राष्ट्रपति के द्वारा
  • चयन समिति (3 सदस्य): प्रधानमंत्री, लोकसभा के विपक्ष का नेता तथा केंद्रीय गृह मंत्री।

कार्यकाल

  • केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अवधि या 65 वर्ष की आयु तक
  • पुनःनियुक्ति के पात्र नहीं(सूचना आयुक्त मुख्य सूचना आयुक्त बनने के पात्र होते हैं लेकिन कुल अवधि 5 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए) होते हैं ।
  • अवधि– 4 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक
  • केंद्रीय राज्य सरकार के अंतर्गत किसी भी पद के पात्र नहीं होते हैं।

योग्यता/वेतन

  • आयोग का अध्यक्ष एवं सदस्य बनने वाले सदस्यों में सार्वजनिक जीवन का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए तथा उन्हें विधि, विज्ञान एवं तकनीकी, सामाजिक सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंचार या प्रशासन आदि का विशिष्ट अनुभव होना चाहिए।
  • संसद या किसी राज्य या संघ शासित प्रदेश के विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए।
  • वे किसी राजनीतिक दल से संबंधित कोई लाभ का पद धारण न करते हों तथा कोई लाभ का व्यापार या उद्यम भी ना करते हों।
  • वेतन भत्तों का निर्धारण केंद्र सरकार करती है तथा उनके सेवाकाल में उनमें कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
  • वेतन – केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्तें संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान ही होती है और सतर्कता आयुक्त की संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों के समान होती है।
इस्तीफा
  • राष्ट्रपति/राज्यपाल को
  • राष्ट्रपति को
निष्कासन प्रक्रिया
  • केंद्रीय सूचना आयोग/केंद्रीय सतर्कता आयोग- राष्ट्रपति के द्वारा हटाया जा सकता है तथा इसकी कार्यवाही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जैसी ही होती है।
  • राज्य सूचना आयोग – राज्यपाल के द्वारा हटाया जा सकता है तथा इसकी कार्यवाही राज्य मानवाधिकार आयोग के समान ही होती है।

 

लोकपाल

 

निकाय लोकपाल

गठन

  • संसद में पारित एक अधिनियम के द्वारा (लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013) केंद्र में लोकपाल तथा राज्य में लोकायुक्त का गठन किया गया है।
  • यह एक सांविधिक निकाय है।

संरचना

6. यह एक बहु सदस्यीय निकाय है।

7. इसमें अध्यक्ष तथा अधिकतम 8 सदस्य(50% न्यायिक सदस्य) होते हैं।

8. कम से कम 50% सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यक समुदाय तथा महिला के बीच से होने चाहिए।

योग्यता

  • न्यायिक सदस्य – उच्चतम न्यायालय के वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश।
  • गैर न्यायिक सदस्य प्रतिष्ठित व्यक्ति जिनके पास लोक प्रशासन, सतर्कता, वित्त, इंश्योरेंस, बैंकिंग, कानून एवं प्रबंधन तथा भ्रष्टाचार रोधी नीतियों के संबंध में विशेष जानकारी तथा कम से कम 25 वर्षों का अनुभव हो।
नियुक्ति
  • राष्ट्रपति के द्वारा (लोकपाल), राज्यपाल के द्वारा (लोकायुक्त)
  • यन समिति (3 सदस्य) : प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष का नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का कार्यरत न्यायाधीश और कोई प्रतिष्ठित न्यायवेत्ता जो राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति के 4 सदस्यों की अनुशंसा पर नामित हो।
  • सर्च समिति यन समिति की मदद करने के लिए (50% सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक तथा महिलाओं के वर्ग से आते हों)
कार्यकाल/वेतनमान
  • अवधि – 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु होने तक
  • अध्यक्ष के वेतन एवं भत्ते भारत के मुख्य न्यायाधीश के समान तथा सदस्यों के वेतन एवं भत्ते उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान होंगे।
इस्तीफा
  • राष्ट्रपति को सौंपते हैं ।

विविध

  • सशस्त्र बलों को छोड़कर प्रधानमंत्री सहित सभी वर्गों के सरकारी कर्मचारी लोकपाल के दायरे में आते हैं।
  • लोकपाल को यह अधिकार होगा कि लोकपाल द्वारा प्रेषित मामलों पर वह सीबीआई सहित किसी भी जांच एजेंसी पर अधीक्षण तथा दिशा निर्देश करे।
  • जिन संस्थाओं का सरकार द्वारा पूर्णतः या अंशतः वित्तीयन होता है वह लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आता है लेकिन जिन संस्थाओं को सरकार वित्तीय सहायता नहीं देती है वह इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर होते हैं ।
  • इसमें वे प्रावधान शामिल हैं जो भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट तरीकों से प्राप्त की गई संपत्ति को ज़ब्त करेंगे, तब भी जबकि अभियोजन की प्रक्रिया बाकी हो।
  • राज्यों को 1 वर्ष के भीतर लोकायुक्त का गठन करना होगा।
  • लोकपाल के द्वारा किसी जांच के लिए नियुक्त सीबीआई अधिकारी को लोकपाल की अनुमति के बिना उसका तबादला नहीं किया जा सकता है।

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.